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झामुमो के पार्टी महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार ने ही असल रूप में आदिवासियों का गौरव बढ़ाया है।सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आदिवासी-मूलवासी की अलग पहचान होती है। उसके लिए हेमंत सरकार ने सरना धर्म कोड बनाया और विधानसभा से लेकर टीएसी से पास कराने के बाद राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति तक भेजा।
देशभर में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय का झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने आलोचना के साथ स्वागत किया है। झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाए जाने संबंधित केंद्र के निर्णय का झामुमो सावधानी पूर्वक स्वागत करेगा।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आदिवासी-मूलवासी की अलग पहचान होती है। उसके लिए हेमंत सरकार ने सरना धर्म कोड बनाया और विधानसभा से लेकर टीएसी से पास कराने के बाद राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति तक भेजा। सरना धर्मकोड के बगैर जनजातीय गौरव नहीं हो सकता। देश में जब तक संविधान की पांचवी अनुसूची, छठी अनुसूची को शाब्दिक अर्थ में लागू नहीं किया जाएगा, तब तक जनजातीय गौरव दिवस नहीं हो सकेगा। इस अनुसूची के तहत अधिकार मांगने वालों पर भाजपा के शासनकाल में आदिवासियों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया और उसके बाद अब भाजपा के लोग घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, यह कैसा आदिवासी गौरव दिवस है।
सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि रांची के चान्हो के सिलगांई में वीर बुधु भगत की जन्मस्थली है। 1831 के कोल विद्रोह के स्वतंत्रता सेनानी थे वीर वुधु भगत, लेकिन सरकार उनकी जमीन का अधिग्रहण कर रही है। उनकी जमीन को उजाड़कर, उन्हें मिटाकर केंद्र सरकार किसका गौरव बढ़ा रही है। पलामू के मंडल डैम में लातेहार के बरवाडीह प्रखंड के पांच गांव, गढ़वा के भंडरिया प्रखंड के छह गांव की जमीन का अधिग्रहण होगा। इसमें शहीद नीलांबर-पितांबर के गांव भी डैम में अधिग्रहित हो जाएंगे। ऐसी स्थित में केंद्र सरकार कौन से आदिवासियों का गौरव बढ़ा रही है। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर को भोपाल में कार्यक्रम करने के पीछे की राजनीति को समझने की जरूरत है।
हेमंत सरकार ने असल रूप में बढ़ाया है आदिवासियों का गौरव।
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